किसान संघ के 2 दिन अल्टीमेटम का समय पूरा होने आया न सरकार का जवाब आया न भाकिसं के आंदोलन की रूप रेखा – सिंहस्थ क्षेत्र का किसान भाकिसं की और देख रहा

 

 

उज्जैन। प्रदेश सरकार के साथ सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पुलिंग एक्ट को लेकर भारतीय किसान संघ के बीच वार्ता के बाद निरस्त करने का समझौता हुआ था। दो दिन बाद सरकार की और से जारी आदेश देख कर संघ ने उस पर विरोध जताया था और संशोधन निरस्त  करने के लिए दो दिन का अल्‍टीमेटम दिया था। इसका समय पूरा हो गया है। न तो सरकार का जवाब सामने आया है और न संघ के आंदोलन की रूपरेखा ही। इसे लेकर सिंहस्थ क्षेत्र का किसान भारतीय किसान संघ की और देख रहा है। किसान संघर्ष समिति अगली रूपरेखा के लिए तैयारी करने में लगी है।

प्रदेश सरकार के साथ सिंहस्थ क्षेत्र लैंड पुलिंग योजना निरस्त के मामले में दोनों पक्षों ने निरस्त करने पर सहमति दी थी । सरकार की और से जारी अधिकृत विज्ञप्ति में भी निरस्त करने का उल्लेख किया गया था। किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलसिंह आंजना ने भी निरस्त को लेकर अपना बयान जारी किया था। दुसरे दिन संघ के किसानों एवं नेताओं ने उज्जैन में दीपावली एवं होली एक साथ मनाई थी। तीसरे दिन सरकार की और से जारी आदेश में तीन शर्तों के साथ राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम  निवेश अधिनियम 1973 की धारा -52 (1) (ख) में विहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए  लोकहित में उज्जैन विकास प्राधिकरण  द्वारा  क्रियान्वित की जा रही नगर विकास स्कीम  क्रमांक -8,9,10,11को निष्पादन के दौरान उपांतरित करने के आदेश जारी किया। इस पर किसान संघ की आपत्ति रही और संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने इसे लेकर कहा कि हमें ये आदेश मंजूर नहीं है। जब बात योजना निरस्त करने की हुई थी तो यह गोलमोल आदेश क्यों । सरकार इस संशोधित आदेश को निरस्त कर निरस्त का आदेश जारी करे। इसे लेकर दो दिन का अल्टीमेटम संघ की और से दिया गया था। सरकार के इस दौरान निर्णय नहीं लेने पर आंदोलन की राह की बात भी उन्होंने कही थी।

किसानों की नजर संघ पर –

निरस्त समझौते के उपरांत दुसरे दिन दीपावली एवं होली आयोजन किसान संघ ने किया था। जहां घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन होना था वहां  किसानों ने जश्न मनाया था। इसके बाद आदेश आया। जिसे देखकर किसान हतप्रभ रह गए। इसके बाद से सिंहस्थ क्षेत्र के 17 गांव के 2378 हेक्टेयर भूमि के 1806 किसान एवं उनके परिवार के करीब 20 हजार सदस्य  भारतीय किसान संघ की अगली रणनीति की टक-टकी लगाए बैठे हैं।

किसानों में नाराजगी भी-

17 नवंबर को किसान संघ एवं प्रदेश सरकार के बीच योजना निरस्त को लेकर समझौता हुआ था। इसके बाद 19 नवंबर को आदेश जारी हुआ। आदेश सामने आने के बाद से सिंहस्थ क्षेत्र के किसानों में नाराजगी की स्थिति भी देखी जा रही है। किसानों का कहना है कि किसान संघ के प्रतिनिधि चर्चा के लिए भोपाल गए तो उन्हें किसान संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को साथ ले जाना था। उनका नहीं लेकर जाना भी चर्चाओं में है और इसे लेकर नाराजगी भी है। इस नाराजगी को किसान मुहावरे में व्यक्त करते हुए कह रहे है कि “चौबे जी छब्बे जी बनने गए थे और दुबे जी” होकर लौट आए । इसी तरह से किसान चर्चाओं में कहते हैं कि “मांगने गए पूत,मर गया खसम”की कहावत चरितार्थ हो गई है।

किसान संघर्ष समिति मैदान में आने को सक्रिय –

मामले को लेकर अब तक किसान संघर्ष समिति किसान संघ के साथ चल रही थी और आगे भी आंदोलन की रणनीति में उनके साथ चलने की मंशा है लेकिन संघर्ष समिति इस मामले में आगे की रणनीति तय करने के लिए सक्रिय हो गई है। किसानों की और से साफ कहा जा रहा है कि जिस तरह का घटनाक्रम हुआ है उससे सरकार एवं प्रशासनिक स्तर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। भरोसे जैसा कुछ आदेश सरकार की और से नहीं आया है। किसान उदार है और हर बार सिंहस्थ के लिए जमीन देता रहा है अबकी बार भी वह परंपरागत सिंहस्थ आयोजन के लिए जमीन देने को तैयार है। सरकार निरस्त का आदेश जारी करती और उसके बाद किसानों से मार्ग के लिए जमीन मांगती तो किसान से चर्चा और विश्वास में लेने पर वो सब मिल जाता जिसकी उन्हें उम्मीद भी नहीं थी। आदेश ने स्पष्ट कर दिया कि किसानों के साथ छलावा किया जा रहा है और उसी के तहत उनसे जमीन लेने की रणनीति है। किसानों को धाराओं एवं प्रशासनिक भाषा में न उलझाते हुए सीधे –सीधे स्पष्ट बात होनी चाहिए।

अभी अल्टीमेटम का समय शेष – श्री आंजना

लैंड पुलिंग योजना निरस्त की बजाय सरकार के आदेश को संशोधन करार देते हुए किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमलसिंह आंजना ने इस आदेश को निरस्त करने के लिए सरकार को 2 दिन का समय दिया था। शुक्रवार को दिया गया यह समय रविवार को पूरा होने की बात प्रदेशाध्यक्ष श्री आंजना कहते हैं। समय पूरा होने पर आगे की रणनीति आगामी दिनों में तय होगी। मामले में भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी का कहना  था कि मामला प्रदेश स्तर से ही देखा जा रहा है । प्रदेशाध्यक्ष कमलसिंह आंजना हैं। मैं अभी नार्थ-ईस्ट में हुं।

आंदोलन की रूपरेखा 30 के बाद-

इधर किसान संघ के सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में शादी –विवाह का सीजन चल रहा है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर विवाह समारोह हैं। इसके साथ ही गेंहुं में सिंचाई की मांग भी है। इसे देखते हुए अभी मामला ठंडा रखा जा रहा है। 30 नवंबर के बाद आंदोलन की रूपरेखा तय होगी। तब तक संघ का केंद्रीय नेतृत्व भी पूरे मामले से अवगत होकर इसके अंदर की स्थितियों का अध्ययन कर लेगा।

ये अंदर की बात है-

आदेश को लेकर उलझन की स्थितियों के निदान के लिए सरकार एवं किसान संघ के विधिक जानकारों के बीच चर्चाएं चल रही है। सरकार की और से जारी आदेश को निरस्त करने के साथ ही नए आदेश को लेकर दोनों पक्ष अलग-अलग अपने स्तर पर विचार कर रहे हैं। मतभेद की स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है। अंदर खाने के सूत्रों का कहना है कि इसके लिए विधिक मसौदा तैयार किया जाना है और उसके अनुसार ही अगली कार्रवाई होना है। इसमें समय लगने की बात कहीं जा रही है। दोनों ही पक्ष इसमें नियमों एवं कानूनों को समझकर ही अगला कदम उठाना चाहते हैं जिससे आगे कोई गलतफहमी न होने पाए ।

 

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